चकरनगर। चंबल, यमुना, सिंध, पहुज और क्वारी पांच नदियों के महासंगम पचनद तट पर नौ जनवरी को कला और प्रकृति का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। इस दिन चंबल संग्रहालय के तत्वावधान में यहां एक कला महोत्सव आयोजित किया जाएगा, जिसमें उड़ीसा के प्रसिद्ध रेत कलाकार हिमांशु शेखर परिदा अपनी रेत कला का जादू बिखेरेंगे।
चंबल संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने इस आयोजन की जानकारी देते हुए बताया कि हिमांशु शेखर परिदा भारतीय रेत कला के प्रमुख कलाकार हैं और उनकी कला ने वैश्विक स्तर पर ख्याति प्राप्त की है। वे अपनी रेत कला के माध्यम से प्राकृतिक दृश्यों और सांस्कृतिक धरोहरों को जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हैं। उनकी कला ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी प्रशंसा प्राप्त की है।
हिमांशु शेखर परिदा कटक, उड़ीसा के एक कलात्मक वातावरण में पले-बड़े हैं, और बचपन से ही मूर्तिकला और रेत कला का अभ्यास शुरू किया था। उन्होंने उत्कल संस्कृति विश्वविद्यालय से दृश्य कला में स्वर्ण पदक के साथ स्नातक किया और मूर्तिकला में भी अपनी पहचान बनाई। उनका कहना है कि रेत कला के माध्यम से वह अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का प्रयास करते हैं।
यह आयोजन पचनद तट पर होने वाला एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अवसर होगा, जहां दर्शक रेत कला के अद्भुत रूपों का आनंद लेंगे। इस कला महोत्सव का उद्देश्य न केवल कला के प्रति लोगों की रुचि बढ़ाना है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक धरोहर के महत्व को भी उजागर करना है। इस मौके पर कला प्रेमियों और पर्यटकों के लिए विशेष आयोजन किए जाएंगे, जिससे वे इस कला को और गहरे से समझ सकें।
चंबल संग्रहालय और स्थानीय प्रशासन ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पूरी तैयारी की है। इस आयोजन के जरिए पचनद तट को एक सांस्कृतिक स्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। आयोजकों ने सभी कला प्रेमियों और पर्यटकों से अपील की है कि वे इस अद्भुत कला महोत्सव का हिस्सा बनें और रेत कला के अद्भुत प्रदर्शन का आनंद लें।