इटावा। एक साल में मिर्च-मसाले और खाद्य तेलों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिली है, जिससे रसोई का बजट अब बुरी तरह प्रभावित हो गया है। जहां सरसों का तेल, डालडा और रिफाइंड तेल लगभग 20 प्रतिशत तक महंगे हुए हैं, वहीं मेवा और इलायची की कीमतों में तीन गुना तक का इजाफा हुआ है। इस वृद्धि ने आम जनता की रसोई के खर्च को बढ़ा दिया है और लोगों के लिए गुणवत्ता के साथ-साथ बजट में संतुलन बनाना कठिन हो गया है।
2024 के जनवरी महीने में सरसों का तेल 110-115 रुपये प्रति लीटर था, जबकि इस बार यह 140-145 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। डालडा और रिफाइंड तेल की कीमतें भी पिछले साल के मुकाबले 20 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं। डालडा जहां पहले 125 रुपये का था, वह अब 160 रुपये का हो गया है, वहीं रिफाइंड तेल 115 रुपये किलो से बढ़कर 150 रुपये किलो तक बिकने लगा है। इससे रसोई में इन तेलों का उपयोग अब और महंगा हो गया है।
हल्दी की कीमतों में भी काफी वृद्धि हुई है। 2024 के जनवरी में हल्दी 90 रुपये किलो थी, जबकि अब यह 160-170 रुपये किलो तक बिक रही है। यह वृद्धि आम घरों में हल्दी के उपयोग को कम करने का कारण बन सकती है, क्योंकि बढ़ी हुई कीमतें छोटे बजट वाले परिवारों पर अतिरिक्त दबाव बना रही हैं।
चाय, मिठाई और अन्य व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग होने वाली छोटी इलायची की कीमत पिछले एक साल में तीन गुना तक बढ़ी है। पिछले साल जनवरी में 1000 रुपये किलो बिकने वाली छोटी इलायची अब 3200 रुपये किलो तक बिक रही है। इसी तरह बड़ी इलायची की कीमत भी 1000 रुपये किलो से बढ़कर 2000-2200 रुपये किलो तक पहुंच गई है।
मेवा की कीमतों में भी असामान्य वृद्धि देखी गई है, खासकर मखाने की कीमतों में। जहां 2024 के जनवरी महीने में मखाने की कीमत 400 रुपये किलो थी, वहीं अब यह 1500 रुपये किलो बिक रहा है। मखाने की कीमतों में तीन गुना तक का इजाफा होने से बाजार में इस उत्पाद की खपत पर भी असर पड़ने की संभावना है।