इटावा । जिले की 89 गोशालाओं में गोवंशों की देखभाल को लेकर प्रशासन की ओर से कड़े निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। हालात यह हैं कि गोशालाओं में सर्दी के मौसम में गोवंशों की मृतता की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। अधिकारियों द्वारा गोशालाओं की मॉनीटरिंग के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। यह मामला शासन के लिए गंभीर बन चुका है, खासकर जब प्रति गोवंश सरकार द्वारा 50 रुपये प्रतिदिन आवंटित किए जा रहे हैं, फिर भी गोशालाओं में समस्याएं खत्म नहीं हो पा रही हैं।
पशुपालन विभाग के अनुसार जिले में 11,250 गोवंशों का संरक्षण 89 गोशालाओं में किया जा रहा है, जबकि इनमें से 2,580 गोवंशों को क्षमता से अधिक रखा गया है। गोशालाओं में चारे की पर्याप्त व्यवस्था का दावा किया गया था, लेकिन वास्तविकता कुछ और है। कई गोशालाओं में गोवंशों को सूखा भूसा और कम पानी मिल रहा है। इसके अलावा, सर्दी से बचने के लिए उचित व्यवस्था भी नहीं की गई है।
चकरनगर स्थित सहसों गोशाला में 200 गोवंशों के लिए जगह थी, लेकिन यहां 430 गोवंशों को रखा गया था। गोशाला में पर्याप्त तिरपाल और टिनशेड का इंतजाम था, लेकिन अधिकांश गोवंश खुले आसमान के नीचे ठंड से जूझ रहे थे। पानी की टंकी में गंदगी और कचरा जमा हुआ था, जिससे पानी की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही थी। केयरटेकर सुखदेव ने बताया कि गोवंशों ने उन पर हमला किया था, जिसके कारण वह नादियों में दाना नहीं डाल पाए।
जसवंतनगर के ग्राम नगला रामसुंदर की गोशाला की स्थिति भी खस्ता रही। यहां अभिलेखों में 213 गोवंश होने का दावा किया गया था, लेकिन मौके पर मात्र 100 गोवंश ही दिखाई दिए। गोशाला में हरा चारा, दाना और भूसा की कोई व्यवस्था नहीं थी। एक गोवंश मरणासन्न अवस्था में पड़ा हुआ था, जबकि अन्य गोवंश खुले में ही ठंड से बेहाल थे। केयरटेकर गजेंद्र ने बताया कि गोवंश जंगल में चरने गए हैं, जिससे गोशाला में चारे की कमी हो गई है।
उदी क्षेत्र के बढ़पुरा ब्लॉक स्थित गोशाला में कई गोवंश मृत अवस्था में पाए गए। गोशाला के परिसर में कुत्ते घूम रहे थे, जबकि तीन गोवंश मरणासन्न अवस्था में पड़े हुए थे और उनकी आंखों को कौए नोंच रहे थे। गोशाला में गोवंशों के लिए पर्याप्त टिनशेड की व्यवस्था नहीं थी, जिससे वे ठंड में कांपते हुए दिखाई दिए। पानी की टंकी में भी गंदगी जमा हुई थी, जिसे साफ नहीं किया गया था। बीडीओ बृजविहारी त्रिपाठी ने मृत गोवंशों को ठीक से दफनाने और बीमार गोवंशों का इलाज कराने के निर्देश दिए हैं।
ताखा स्थित ग्राम कुरखा की गोशाला में 70 गोवंश थे, लेकिन यहां भी भूसा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। गोशाला में गंदगी और दलदल की स्थिति थी। पानी का सही निकास न होने से परिसर में कीचड़ जमा हो गया था। मामन हिम्मतपुर गोशाला में 125 गोवंश थे, जिनमें से चार गोवंश मृत मिले और तीन मरणासन्न अवस्था में थे। यहां भी हरे चारे और दाने की कोई व्यवस्था नहीं थी।
समथर गोशाला में 230 गोवंश संरक्षित किए गए थे, जो यहां की क्षमता से अधिक थे। इस गोशाला में तीन गोवंश बीमार अवस्था में थे। बीडीओ राजकुमार शर्मा ने बताया कि उन्होंने सभी संबंधित सचिवों को सख्त निर्देश दिए हैं। यदि कोई लापरवाही बरतता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सीडीओ अजय कुमार गौतम ने गोशालाओं में गोवंशों की मृतता को गंभीर मामला बताया है और व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी गोशाला में लापरवाही बरती जाती है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जिले के गोशालाओं की स्थिति पर प्रशासन की नजर बनी हुई है, और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही सुधार की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।