इटावा शहर के भरथना रोड स्थित कौशल्या वाटिका मैरिज होम में तत्वदर्शी संत रामपाल महाराज का विशाल सत्संग आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे। संत रामपाल महाराज ने इस अवसर पर शास्त्रों के अनुसार भक्ति का महत्व समझाया और श्रद्धालुओं को धर्म के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
संत रामपाल महाराज ने अपने सत्संग में बताया कि धर्मगुरुओं, संतो, महंतो और अन्य धार्मिक नेताओं द्वारा बताए गए आचरणों का कोई शास्त्रीय प्रमाण नहीं है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जो लोग इन आचरणों का पालन करते हैं, उन्हें न तो सच्चा सुख मिलता है और न ही शांति। उनका कहना था कि शास्त्रों के विरुद्ध साधना करने से साधक को न तो सुख मिलता है, और न ही मोक्ष।
संत रामपाल महाराज ने यह भी कहा कि परमात्मा की भक्ति आवश्यक है, क्योंकि इसके माध्यम से न केवल सांसारिक सुख प्राप्त होता है, बल्कि मोक्ष भी प्राप्त किया जा सकता है। उनके इस प्रवचन ने उपस्थित श्रद्धालुओं को गहरी सोच और आत्मनिरीक्षण के लिए प्रेरित किया।
इस विशेष सत्संग में एक और महत्वपूर्ण आयोजन हुआ, जिसमें दहेज मुक्त विवाह की मिसाल पेश की गई। अनीता वसी और कुलदीप दास नामक एक जोड़े का विवाह साधारण परिधान में किया गया। इस दौरान दूल्हा और दुल्हन अपने इष्टदेव की वाणी सुनते हुए विवाह बंधन में बंधे। इस आयोजन का उद्देश्य समाज को दहेज जैसी कुरीतियों से मुक्त करने का था और यह संदेश दिया गया कि दहेज के बिना भी विवाह संभव और सम्मानजनक हो सकता है।
सत्संग में उपस्थित श्रद्धालुओं ने इस आयोजन को सराहा और इसे समाज में बदलाव लाने की दिशा में एक कदम बताया। संत रामपाल महाराज के प्रवचन ने न केवल धार्मिक आस्थाओं को मजबूत किया, बल्कि समाज के साकारात्मक बदलाव के लिए भी एक नई दिशा प्रदान की।
सत्संग के दौरान संत रामपाल महाराज ने एकता, भाईचारे और प्रेम के महत्व को भी समझाया, जिससे उपस्थित लोग भावुक हो उठे। उनके शब्दों ने हर दिल को छू लिया और सभी ने यह संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में सच्चे भक्ति मार्ग को अपनाएंगे और समाज में बदलाव लाने के लिए काम करेंगे।