ताखा जिले में मुख्यमंत्री आरोग्य मेला जिम्मेदारों की लापरवाही और अव्यवस्थाओं का शिकार हो गया। शासन और प्रशासन की ओर से इस मेले को सफल बनाने के लिए सख्त आदेश जारी किए गए थे, लेकिन मौके पर स्थिति बिल्कुल उलट दिखाई दी। जहां एक ओर आरोग्य मेला का उद्देश्य जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना था, वहीं डॉक्टर ठंड से बचने के लिए आराम करते नजर आए।
ताखा क्षेत्र के विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) पर डॉक्टरों की गैरमौजूदगी में फार्मासिस्ट और वार्ड ब्वॉय के सहारे मरीजों का इलाज किया गया। इन कर्मचारियों ने मरीजों को दवाइयां वितरित तो की, लेकिन उनकी क्षमता और प्रशिक्षण के कारण मरीजों को सही इलाज नहीं मिल सका। इस लापरवाही के कारण आम जनता में आक्रोश व्याप्त हो गया है, जो अपने इलाज के लिए उचित चिकित्सकीय सहायता की उम्मीद कर रही थी।
सरकारी आदेशों के बावजूद डॉक्टरों का इस मेला में नहीं पहुंचना और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में कमी से लोगों में नाराजगी फैल गई है। स्वास्थ्य विभाग ने एक ओर तो लोगों को इलाज मुहैया कराने के नाम पर आरोग्य मेला आयोजित किया, लेकिन दूसरी ओर उसकी सही तरीके से कार्यान्वयन में गंभीर खामियां रहीं।
नागरिकों ने आरोप लगाया कि इस मेले में डॉक्टरों की अनुपस्थिति और चिकित्सा सेवा के स्तर में गिरावट से उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हो पाईं। खासकर ठंड के मौसम में जब स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ने का खतरा अधिक होता है, तब इस प्रकार की लापरवाही और अव्यवस्थाएं चिंता का विषय बन गई हैं।स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे मेलों का आयोजन बेहतर तरीके से किया जाए और संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों पर जिम्मेदारी तय की जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार की अव्यवस्थाएं न हो और जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।