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डकैती के आठ साल पुराने मामले में सात दोषियों को सात साल की सजा, जुर्माना भी लगाया

इटावा। विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित क्षेत्र अधिनियम, अशोक कुमार दुबे द्वितीय ने डकैती के आठ साल पुराने मामले की सुनवाई करते हुए सात आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें सात-सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही कोर्ट ने इन आरोपियों पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। यदि जुर्माना अदा नहीं किया गया, तो उन्हें एक-एक साल का अतिरिक्त कारावास भोगना पड़ेगा।

मामला फ्रेंड्स कॉलोनी थाना क्षेत्र के मोहल्ला शिवपुरी शाला का है, जहां 26 सितंबर की रात को सोनी देवी पत्नी शिव कुमार ने थाने में डकैती की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। सोनी देवी ने बताया कि वह रात को अपने परिवार के साथ घर में सो रही थीं। लगभग रात 12 बजे चार-पांच बदमाश उनके घर में घुस आए। बदमाशों ने दरवाजा तोड़कर उनके कमरे में रखी अलमारी का ताला तोड़ा और उसमें रखे दो हार, आठ अंगूठी, मंगलसूत्र, दो चैन, कानों के सात जोड़ी कुंडल, झुमकी और 35 हजार रुपये नकद लूट लिए।

विशेष न्यायाधीश ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी आरोपियों को दोषी करार दिया और उन्हें सजा सुनाई। कोर्ट ने इस मामले में अभियोजन पक्ष की सशक्त दलीलों को स्वीकार करते हुए आरोपियों के खिलाफ कड़ी सजा का फैसला किया। इस सजा के तहत आरोपियों को अब सात साल तक कठोर कारावास की सजा भुगतनी होगी।

वहीं, जुर्माना न अदा करने की स्थिति में आरोपियों को एक-एक साल का अतिरिक्त कारावास भोगना पड़ेगा। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि अगर जुर्माना नहीं भरा गया तो आरोपियों की सजा को बढ़ा दिया जाएगा। इससे न्यायालय ने यह संकेत दिया कि ऐसे मामलों में दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए, ताकि समाज में अपराधियों के प्रति भय पैदा हो।

एक अन्य मामले में, विशेष न्यायाधीश ने बैंगस्टर एक्ट और उकसाने के तीन साल पुराने मामले में आरोपी शिवम उर्फ गोलू को दोष मुक्त कर दिया। यह मामला बकेवर थाना क्षेत्र के गांव सहत पुरा का था, जहां रंजना नामक महिला ने आरोप लगाया था कि उसके पति ने उसकी बहन से बातचीत करते हुए डांट दिया था, जिससे रंजना ने पुलिस में शिकायत की और आत्महत्या का आरोप लगाया था।

इसके अलावा, इस मामले में बदमाशों ने संदीप की पत्नी ऊषी देवी से भी लूटपाट की थी, जिसमें दो हार, मंगलसूत्र और अंगूठी समेत अन्य कीमती सामान शामिल था। इन सभी घटनाओं से परिजनों में भारी गुस्सा और आक्रोश था, और कोर्ट से न्याय की उम्मीदें बढ़ी थीं, जो अब पूरी हुई हैं।

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