ताखा। क्षेत्र के रामपुर गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन श्रद्धालुओं को धुंधकारी की कथा सुनाई गई। कथा वाचक गौरव शास्त्री ने भक्तों को जीवन में धर्म, सत्य और संयम के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि पाप और असत्य का मार्ग अंततः दुख और विनाश की ओर ले जाता है।
कथा में गौरव शास्त्री ने बताया कि किस प्रकार एक व्यक्ति अपने कर्तव्यों और धर्म से भटककर भौतिक सुख-सुविधाओं में लिप्त हो गया। इस भटकाव का परिणाम यह हुआ कि उसे न केवल कष्ट सहना पड़ा, बल्कि आत्मा की मुक्ति के लिए भी उसे बहुत संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने बताया कि सत्य और धर्म का पालन करने से न केवल व्यक्ति का जीवन सुखमय बनता है, बल्कि उसकी आत्मा को भी शांति मिलती है।
धुंधकारी की कथा ने श्रद्धालुओं को यह सिखाया कि जीवन में संयम और संतुलन बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि व्यक्ति को जीवन के अंतिम समय में पछताना न पड़े। कथा के पहले दिन श्रद्धालुओं ने गहरी श्रद्धा के साथ इसे सुना और जीवन में धर्म को अपनाने की प्रेरणा ली।
कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिन्होंने इस पावन अवसर का लाभ उठाया और अपने जीवन में धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन 7 दिन तक चलेगा, जिसमें विभिन्न पवित्र कथाओं के माध्यम से जीवन के आध्यात्मिक पहलुओं को उजागर किया जाएगा।