सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के बीच चल रहे विवाद ने बुधवार को गंभीर रूप ले लिया। कई दिनों से चल रहे इस विवाद के चलते नर्सिंग स्टाफ ने ट्रॉमा सेंटर के गेट पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनका आरोप था कि हड्डी रोग विभाग के जूनियर डॉक्टरों द्वारा नर्सिंग स्टाफ के साथ अभद्रता की गई थी। नर्सिंग स्टाफ ने कहा कि उनकी शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे वे नाराज थे।
धरने के दौरान नर्सिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष सतेन्द्र चौधारी ने बताया कि उन्होंने 12 जनवरी को एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें महिला नर्सिंग अधिकारियों के मानसिक उत्पीड़न और गाली-गलौज की घटना का उल्लेख किया गया था। उनके अनुसार, इस घटना में जसवंतनगर के धरवार निवासी मुन्नी देवी ने भी गवाही दी थी, जिनका आरोप था कि उन्हें डॉक्टरों द्वारा अपमानित किया गया था। धरने के बाद चिकित्सा अधीक्षक ने शाम छह बजे के बाद आश्वासन दिया, जिसके बाद दोनों पक्षों का धरना समाप्त हुआ।
हालांकि, जैसे ही डॉक्टरों को जानकारी मिली, उन्होंने प्रशासनिक भवन के सामने अपना विरोध शुरू कर दिया। डॉक्टरों का कहना था कि नर्सिंग स्टाफ मनमानी करता है और दबाव बनाने के लिए गलत शिकायतें करता है। उनका आरोप था कि नर्सिंग स्टाफ के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती, जबकि उनका आचरण भी सवालों के घेरे में है। डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के धरने के कारण ओपीडी सेवा पूरी तरह से ठप हो गई, जिससे मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा।
इस विवाद के चलते अस्पताल की ओपीडी सेवा में भारी बाधा आई। प्रतिदिन लगभग तीन से साढ़े तीन हजार मरीजों का इलाज करने वाले ओपीडी में बुधवार को कोई भी सेवा नहीं दी जा सकी। हालांकि, इमरजेंसी सेवाएं सुचारू रूप से चलती रही और लगभग साढ़े तीन सौ मरीजों का इलाज किया गया। इस स्थिति ने मरीजों को असहज बना दिया, और कई मरीजों को डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के प्रदर्शन के कारण परेशानी उठानी पड़ी।
इस घटना की गंभीरता को देखते हुए विवि प्रशासन ने पीएसी की तैनाती की। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सभी कदम उठाए, लेकिन फिर भी ओपीडी सेवा में रुकावटें बनी रहीं। मरीजों को लगातार देरी होने और इंतजार करने के कारण काफी दिक्कतें आईं। अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि वे मामले को शीघ्र सुलझाने का प्रयास करेंगे।