Homeइटावाप्राइवेट हॉस्पिटल में नहीं थम रहा मौतों का सिलसला प्रसाशन दिखा बेहाल

प्राइवेट हॉस्पिटल में नहीं थम रहा मौतों का सिलसला प्रसाशन दिखा बेहाल

इटावा| कोतवाली थाना क्षेत्र के सुंदरपुर मोड के अंतर्गत स्थित स्वास्थ्य विभाग से आशीर्वाद प्राप्त एक बिना मानकों के प्राइवेट हॉस्पिटल ने आज फिर से एक मरीज की जान निगल ली गई परिवार वालों ने हंगामा किया तो पुलिस प्रशासन सतर्क हुआ लेकिन बेरहम गरीबों का पेट काटकर अंधी कमाई में जुटे लोगों ने जरा सी रकम देकर परिवार की बोलती बंद करा दी। सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार बताया गया कि एक महिला को उपचार के लिए भर्ती किया गया था, परंतु बिना डिग्री के डॉक्टर बने बैठे होस्पिलिटल संचालकों की लापरवाही ने एक परिवार की तीन पीढ़ियों के सामने संकट खड़ा कर दिया हालत बिगड़ने का बहाना बनाकर उसको रेफर आगरा के लिए कर दिया था, जहां रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। कैमरे की कैद में तस्वीरें आखिर अस्पताल पर लोगों की भीड़ और एक अच्छी तादाद में जमा पुलिस किस बात को बयां करती है। क्या सूत्रों खबरें सच है या झूठ है, ये तो कैमरे की कैद में तस्वीरें बताती है। आपको बताते चलें कि ये वही प्राइवेट हॉस्पिटल है जिस पर पूर्व में भी मौत होने पर हॉस्पिटल के कई लोगों पर मुकद्दमा हुआ था, इस हॉस्पिटल में अवैध मेडिकल स्टोर पर छापे के दौरान करीब 8 लाख की दवाई पकड़ी गई थी, जिनके बार कोड पर नमक दलिया इत्यादि अंकित थे।इटावा में पूर्व में भी कई अस्पतालों में मौतें अस्पताल की लापरवाही से हुई, कार्यवाही के नाम पर अस्पताल को सीज किया जाता रहा उधर कुछ दिनों के बाद नाम बदल कर फिर से दोबारा हॉस्पिटल के लाइसेंस बनते रहे और अस्पताल संचालित होते रहे। और आम जनता की जिंदगियां से खिलवाड़ अस्पताल संचालक करते रहे, और इसमें स्वास्थ्य विभाग की भी अहम भूमिका बनी रही, क्योंकि अगर स्वास्थ्य विभाग अपनी आंखों की पट्टी खोल लेता तो शायद इतनी जिंदगियों के साथ खिलवाड़ नहीं होता। यह सवाल जनता स्वास्थ्य विभाग और सरकार से पूछती है, लेकिन इसका जवाब न स्वास्थ्य विभाग देता है न सरकार देती है, जीरो टॉलरेंस की नीति पर सरकार चलाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक जब भी इटावा दौरे पर आए तो पत्रकारों द्वारा उनको हकीकत बयां की गई और उन्होंने भी सख्त से सख्त कार्रवाई का भरोसा भी जनता को दिलाया, लेकिन इटावा स्वास्थ्य विभाग आंखों पर काली पट्टी बांधे हुए जो बैठा था जिसने मुनासिब भी नहीं समझा कि उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के आदेशों का पालन किया जा सके, अतः वही ढाक के तीन पात जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। भू माफिया शिक्षा, माफिया खनन, शिक्षा माफियाओं की तरह अपने पैर जमाए अस्पताल माफियाओं को स्वास्थ्य विभाग का आशीर्वाद मिलता रहा और जनता की मौतों का सिलसिला जारी रहा।आखिर जनता का भी जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कब तक भरोसा रहे, यह सवाल है आम जनता का, जो कि अपने सेवा सुरक्षा का दायित्व सौंपती है अपनी माननीय के हाथों में, यह सवाल है उस आम जनता का जो अपना बहुमूल्य वोट देकर अपनी सरकार चुनती है, और 5 साल तक वह सरकार पर भरोसा जताती है।*

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