इटावा। शहर में स्थित 41 परिषदीय स्कूलों में से केवल 14 में ही प्रधानाध्यापक तैनात हैं, जबकि 23 स्कूलों में सहायक अध्यापक प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में अतिरिक्त दायित्व संभाल रहे हैं। शेष चार स्कूलों में शिक्षामित्रों के भरोसे शिक्षा व्यवस्था चल रही है। इस समस्या का कारण पिछले 27 वर्षों से नई नियुक्तियों का न होना है, जिसके चलते सत्र दर सत्र सेवानिवृत्ति के कारण अध्यापकों की संख्या घटकर मात्र 67 रह गई है। इनमें 21 शिक्षामित्र और पांच अनुदेशक भी शामिल हैं।
इस स्थिति में प्राइमरी और जूनियर स्कूलों में पढ़ने वाले 3,959 छात्रों के लिए अध्यापकों की तैनाती का मानक प्रभावित हो रहा है। शहर के लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यदि मानक के अनुसार अध्यापकों की तैनाती हो तो शिक्षण व्यवस्था में सुधार आ सकता है।
बेसिक शिक्षा परिषद के शेड्यूल के अनुसार, चालू शिक्षा सत्र में जनपदीय स्थानांतरण और समायोजन की प्रक्रिया दो जुलाई से शुरू होकर 19 जुलाई तक पूरी होनी थी। बीएसए ने सर्वे कर सरप्लस अध्यापकों और अध्यापकों की कमी वाले विद्यालयों की सूची तैयार करके विभाग को भेजी, लेकिन प्रक्रिया न्यायालय में अटक जाने के कारण स्थानांतरण की प्रक्रिया में देरी हो गई।
नए वर्ष में, परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों के लिए स्थानांतरण की प्रक्रिया अब जनवरी में पूरी होने की संभावना है। इससे शिक्षकों के कार्यस्थल पर आने-जाने में आसानी होगी, क्योंकि कई शिक्षक अपने निवास स्थान, ब्लॉक और जनपद से दूर तैनात हैं। स्थानांतरण से शिक्षक-छात्र अनुपात में सुधार होने की उम्मीद है, जिससे छात्रों को बेहतर शिक्षा मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।