इटावा। बढ़ती महंगाई ने आम आदमी के लिए अपने घर का सपना पूरा करना और भी कठिन बना दिया है। पिछले एक साल में भवन निर्माण सामग्री की कीमतों में 30 से 40 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हो चुकी है, जिससे घर बनाना महंगा हो गया है। इसके साथ ही घर को सुसज्जित करने के लिए प्रयुक्त सामग्री की कीमतों में भी 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है।
महंगाई के इस असर से न केवल निर्माण सामग्री, बल्कि मजदूरी की दरों में भी इजाफा हुआ है। मजदूरी में बढ़ोतरी के कारण निर्माण कार्य की लागत और भी बढ़ गई है। अब पहले से कहीं ज्यादा बजट की आवश्यकता हो रही है, जिससे मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के लोग अपने सपनों के घर को साकार करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं।
स्थानीय निर्माण सामग्री व्यापारियों का कहना है कि सीमेंट, सरिया, बालू, ईंट, और अन्य सामग्री की कीमतों में अचानक हुई बढ़ोतरी ने बाजार को प्रभावित किया है। इन वस्तुओं की आपूर्ति में कमी के कारण कीमतों में इजाफा हुआ है। निर्माण कार्य के लिए आवश्यक कच्चे माल की महंगाई ने निर्माण उद्योग को भी मुश्किल में डाल दिया है।
इसके अलावा, घर बनाने के लिए काम करने वाले मजदूरों की संख्या भी सीमित हो गई है, जिसके कारण मजदूरी दरों में वृद्धि हो रही है। पहले जहां एक मजदूर को प्रतिदिन 400-500 रुपये मिलते थे, अब वह राशि बढ़कर 600-700 रुपये तक पहुंच गई है। यह भी घर बनाने की लागत को बढ़ाने का कारण बन रहा है।
हर किसी का सपना होता है कि उसका खुद का घर हो, लेकिन अब यह सपना सिर्फ चुनिंदा लोग ही साकार कर पा रहे हैं। मध्यम वर्ग और गरीब तबके के लिए यह सपना अब बस एक दूर की कौड़ी बनकर रह गया है। कई लोग तो अपने घर बनाने के लिए लोन लेने पर मजबूर हो रहे हैं, लेकिन उच्च दरों और बढ़ी हुई लागत के कारण उनका बजट और भी प्रभावित हो रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर महंगाई इसी तरह बढ़ती रही, तो आने वाले समय में घर बनाना और भी कठिन हो जाएगा। सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान देकर निर्माण सामग्री की कीमतों में राहत देने के उपायों पर विचार करना चाहिए, ताकि हर व्यक्ति अपना घर बना सके और समाज में समानता बनी रहे।